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चंडीगढ़ में एडवाइजरी काउंसिल पर विवाद

चंडीगढ़ यूटी प्रशासन की ओर से मंगलवार को गठित नई एडवाइजरी काउंसिल पर विवाद खड़ा हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों और कॉलोनियों के प्रतिनिधियों को इस बार काउंसिल में शामिल नहीं किया गया है। इससे ग्रामीण जनता और कई राजनीतिक नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि काउंसिल में इस बार केवल सूट बूट वाले लोगों को ही शामिल किया गया है, जिन्हें गांव-कॉलोनियों की समस्याओं के बारे में पता भी नहीं है। ऐसे में उन लोगों की आवाज नीति निर्माताओं तक कैसे पहुंचेगी। इस बार एडवाइजरी काउंसिल में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को भी बाहर रखा गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय टंडन, पूर्व सांसद सत्यपाल जैन और अरुण सूद को शामिल न किए जाने से राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। काउंसिल में न तो किसी पूर्व सरपंच, पूर्व जिला पंचायत सदस्य, लंबरदार और न ही गांव की गुरुद्वारा सभाओं से किसी को जगह दी गई है। चंडीगढ़ के गांव और कॉलोनीवासियों का आरोप है कि किसी भी व्यक्ति को शामिल न करके प्रशासन ने उनकी समस्याओं और मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया है।

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रामवीर भट्टी ने कहा कि वह प्रशासक से अपील करते हैं कि काउंसिल में गांव-कॉलोनियों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए, क्योंकि यहां शहर की करीब आधी आबादी रहती है। गांव और कालोनीवासियों की असली समस्याओं को वे ही समझ सकते हैं, जो जमीनी स्तर पर काम करते हैं। सूट बूट और बड़े ओहदों वाले लोग उनकी समस्याओं को ठीक से नहीं समझ पाएंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताओं को भी इस बार नजरअंदाज किया गया है। कई वरिष्ठ नेताओं को भी जगह नहीं दी गई है। जबकि उन्हें शहर के एक-एक मुद्दे के बारे में बारीकी से पता है। भट्टी ने प्रशासक से आग्रह किया है कि काउंसिल में जनता के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। उन्होंने जल्द ही इस मामले में प्रशासन से पुनर्विचार की मांग की है।

बैठक के लिए नहीं दिए कोई टीए-डीए

एडवाइजरी काउंसिल के चेयरमैन प्रशासक गुलाबचंद कटारिया होंगे। प्रशासक को हर छह महीने में काउंसिल की एक बैठक बुलानी होती है, जिसमें शहर के लगभग सभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है और समस्याओं का समाधान ढूंढा जाता है। एडवाइजरी काउंसिल की आखिरी बैठक 14 सितंबर को सेक्टर-10 स्थित होटल माउंट व्यू में हुई थी। गृह विभाग के आदेश के अनुसार यह काउंसिल दो साल के लिए मान्य रहेगी। बैठकों के लिए उन्हें कोई टीए, डीए नहीं मिलेगा।

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