
चंडीगढ़ की जनता को एक और महंगाई का झटका देने की तैयारी चल रही है। सिटी पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड ने ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन को आगामी वित्त वर्ष के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव के अनुसार 500 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति माह 166 रुपए का अधिक भुगतान करना होगा। यह वृद्धि घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ छोटे कारोबारियों, किरायेदारों, सिंगल पेरेंट्स और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एक बड़ा आर्थिक बोझ साबित होगी। आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के अध्यक्ष विजयपाल सिंह ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह जनविरोधी करार देते हुए कड़ा विरोध जताया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यह बिजली बोर्ड सरकार के अधीन था, तब यह लाभ में था और करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा रहा था। अब जब इसे निजी कंपनियों को सौंपा गया है, तो घाटा कैसे दिखाया जा रहा हैघ।
यह बेहद चिंताजनक है कि जो विभाग सरकारी व्यवस्था में मुनाफा दे रहा था, वह प्राइवेट होते ही घाटे में चला गया। अब इस घाटे का बोझ आम जनता पर डालना पूरी तरह अनुचित है। आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के मीडिया प्रभारी विक्रांत तंवर ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया एक सुनियोजित योजना का हिस्सा लगती है, जिसमें मुनाफे वाली सेवा को निजी कंपनियों को सौंप कर घाटा दिखाया गया और अब जनता से उसकी भरपाई की जा रही है। यह केवल बिजली बिल नहीं है, यह जनता की गाढ़ी कमाई पर हमला है। हम सरकार से मांग करते हैं कि वे स्पष्ट करें कि आखिर किस आधार पर लाभकारी सेवा घाटे में बदल गई और जनता को इसका खामियाजा क्यों भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बिजली कंपनी और अधिकारी मिलकर बंद कमरे में यह फैसला नहीं ले सकते। यह निर्णय पारदर्शिता के साथ जनता की भागीदारी से होना चाहिए। ओंकार सिंह औलख, आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के जनरल सेक्रेटरी ने भी इस बढ़ोतरी को अनुचित और असंवेदनशील बताते हुए सवाल उठाया। जब केंद्र सरकार ने देशभर में मुफ्त और सस्ती बिजली देने का वादा किया है, तो चंडीगढ़ में टैरिफ बढ़ाना कैसे उचित है, यह दोहरी नीति है।