प्रोजेक्ट जीवनजोत 2.0 बनेगा “रंगला पंजाब” की नींव: कैबिनेट मंत्री

चंडीगढ़, 21 जुलाई:
मुख्यमंत्री स भगवंत सिंह मान के सक्षम नेतृत्व में राज्य में बाल भिक्षावृत्ति को जड़ से समाप्त करने के लिए ठोस और ज़मीनी स्तर की कार्रवाई की जा रही है। इस तहत सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आज राज्य भर में चलाई गई विशेष मुहिम के दौरान 47 भिक्षावृत्ति के लिए मजबूर किए गए बच्चों को रेस्क्यू किया गया। यह जानकारी कैबिनेट मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने दी।
इस संबंध में आगे जानकारी देते हुए सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि जीवनजोत मुहिम के अंतर्गत विभाग की ज़िला बाल सुरक्षा टीमों द्वारा 31 छापे मारे गए। इन छापों के दौरान ज़िला अमृतसर में 1, बरनाला 2, बठिंडा 4, फिरोज़पुर 3, फतेहगढ़ साहिब 2, गुरदासपुर 9, फाजिल्का 1, होशियारपुर 5, मलेरकोटला 2, पटियाला 9, रूपनगर 2 और श्री मुक्तसर साहिब में 7 मजबूर बच्चों को रेस्क्यू किया गया।
डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि रेस्क्यू किए गए 30 बच्चों को दस्तावेज़ी जांच के बाद उनके माता-पिता के सुपुर्द किया गया, जबकि 17 बच्चे, जिनके माता-पिता की पहचान नहीं हो सकी, उन्हें चाइल्ड केयर संस्थानों में भेजा गया है।
डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि अगर किसी रेस्क्यू किए गए बच्चे के मामले में संबंधित बाल कल्याण समिति को यह संदेह या संभावना हो कि मामला गंभीर है और इसमें कानूनी जांच ज़रूरी है, तो एफ.आई.आर. दर्ज करने या डी.एन.ए. टेस्ट कराने जैसी कार्रवाइयाँ संबंधित डिप्टी कमिश्नर की मंज़ूरी से शुरू की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी बच्चे के साथ हो रही उल्लंघना या संदेहास्पद स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कानूनी और वैज्ञानिक स्तर पर निपटाया जाए।
उन्होंने सख़्त शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि बार-बार समझाने के बावजूद भी अगर माता-पिता अपने बच्चों को भिक्षावृत्ति के लिए मजबूर करते हैं, तो उन्हें अयोग्य अभिभावक घोषित कर सख़्त सज़ा देने हेतु कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अगर यह साबित होता है कि किसी तस्करी या आपराधिक गतिविधि के तहत यह भिक्षावृत्ति करवाई जा रही थी, तो ऐसी गतिविधियों में शामिल तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।