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विशेष ज़रूरतों वाले बच्चों की भागीदारी के लिए न्याय और संचार की ओर मान सरकार का ऐतिहासिक कदम

चंडीगढ़, 4 अगस्त :

सभी के लिए सुलभ और संवेदनशील न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक नया इतिहास रचते हुए, पंजाब सरकार देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जिसने जुएनाईल जस्टिस एक्ट, 2015 के तहत सांकेतिक भाषा के इंटरप्रेटरों, अनुवादकों और विशेष शिक्षकों को औपचारिक रूप से सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह जानकारी सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने दी।

डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि मुख्यमंत्री स भगवंत मान के नेतृत्व में उठाया गया यह कदम, कानूनी, शैक्षणिक और रोज़मर्रा के जीवन में संचार की रुकावटों को दूर करके, विशेष योग्यता वाले बच्चों को सशक्त बनाने की एक सशक्त कोशिश है।

उन्होंने कहा कि जुएनाईल जस्टिस एक्ट और पोक्सो अधिनियम 2012 के तहत यह सूचीबद्धता, संचार की अड़चनों को पार कर बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और कानूनी पहुँच को आसान बनाएगी। ये अनुभवी पेशेवर, अदालती कार्यवाहियों के दौरान बच्चों के लिए सहयोगी भूमिका निभाएंगे, जिससे निष्पक्ष और पारदर्शी परिणाम सुनिश्चित होंगे।

उन्होंने कहा कि पंजाब ऐसा समाज बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जहाँ हर बच्चा सुना जाए, समझा जाए और सम्मानित महसूस करे। यह प्रयास बाल-कल्याण और अधिकार आधारित प्रशासन की दिशा में सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

मंत्री ने बताया कि सूचीबद्ध पेशेवरों की ज़िला-वार तैनाती की जाएगी और उन्हें संबंधित अधिनियमों के अनुसार पारिश्रमिक दिया जाएगा। जहाँ भी ज़रूरत होगी, वहाँ समय पर और निरंतर सहायता सुनिश्चित की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार पहले ही पंजाब विधानसभा की महत्वपूर्ण कार्यवाहियों को सांकेतिक भाषा में प्रसारित कर एक मिसाल कायम कर चुकी है। यह फैसला विशेष योग्यता वाले बच्चों और व्यक्तियों (सुनने और बोलने में अक्षम लोगों) के लिए न केवल संचार की बाधा को दूर करता है, बल्कि सामाजिक न्याय और भागीदारी की प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भूमिका को भी सशक्त बनाता है। सांकेतिक भाषा के दुभाषियों, अनुवादकों और विशेष शिक्षकों की नवीनतम सूचीबद्धता इस दिशा में पंजाब सरकार का एक और बड़ा प्रयास है।

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