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दूसरे देशों के रास्ते अमरीका को जेवरात निर्यात के विकल्प तलाश रहे सर्राफा व्यापारी

नई दिल्ली। अमरीका में भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगने के बाद भारतीय सर्राफा व्यापारी दूसरे देशों के रास्ते वहां अपने सोने-चांदी के जेवरात निर्यात करने के विकल्प तलाश रहे हैं। दिल्ली के भारत मंडपम में शनिवार से गहने-जेवरातों की तीन दिवसीय प्रदर्शनी ‘अपना दिल्लीवाला शो’ के उद्घाटन के बाद आयोजकों ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि देश का 60 से 70 प्रतिशत गहनों का निर्यात अमेरिका को किया जाता है। निश्चित रूप से अमेरिका के 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने से चुनौतियां सामने आयी हैं, लेकिन उसके लिए वैकल्पिक बाजार तलाशे जा रहे हैं।

प्रदर्शनी की आयोजक कंपनी इनफॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास ने कहा कि अमेरिका में सऊदी अरब से भी सोने और हीरे के जेवरातों का आयात किया जाता है। वहां भारतीय कारीगर भी इस उद्योग में बड़ी संख्या में काम करते हैं। सर्राफा कारोबारी अब ऐसे ही देशों को निर्यात बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। इनमें ब्रिटेन, यूरोपीय संघ के देश और पश्चिम एशिया के देश शामिल हैं। हालांकि उन्होंने उम्मीद जतायी कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार पर जारी वार्ता सफल रहेगी।

सोने की ऊंची कीमतों के प्रभाव के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में द बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (टीबीजेए) के चेयरमैन रामअवतार वर्मा ने कहा कि सोने के दाम फिलहाल घटने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, “सोने ने पहले भी कई मौकों पर ‘लंबी छलांग’ लगाई है और उसके बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब यह नीचे आयेगा। लेकिन सोना कभी वापस नीचे नहीं आया।” उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में सोने की वास्तविक मांग कम हुई है, लेकिन दाम बढ़ने के कारण राजस्व लगातार बढ़ रहा है।

टीबीजेए के सीनियर चेयरमैन नवीन कुमार जिंदल ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर में हाल में किये गये सुधारों में सोने पर कर कम नहीं किया गया। उन्होंने कहा सोने पर जीएसटी तीन प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब सोने के दाम कम थे उसकी तुलना में अब इस पर जीएसटी से सरकार को कई गुणा आमदनी हो रही है। इसलिए इस पर कर कम करके सरकार इस उद्योग का समर्थन कर सकती है।

ज्वेलरी डिजाइनर और इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन की महिला शाखा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हेतल वकील वालिया ने कहा कि सोने की ज्यादा कीमत के बावजूद देश में लोग कम से कम शादी-विवाह में देने के लिए सोना जरूर खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि निवेश अपनी जगह है, लेकिन महिलाओं को गहनों से एक प्रेम होता है, यह एक फैशन और लग्जरी की चीज होने के साथ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दिया जाने वाला स्त्री धन भी है। इससे पहले, चांदनी चौक से सांसद और अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने करों में कटौती के लिए पूरे उद्योग को एक साथ मिलकर अपनी बात रखने की सलाह दी।

ऑल इंडिया ज्वेलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने कहा कि जब सोना 30,000 रुपए प्रति दस ग्राम था तो उस पर वैट के तहत एक प्रतिशत कर लगता था और ग्राहक को प्रति 10 ग्राम पर 300 रुपये कर देना होता था। आज सोना एक लाख 13 हजार रुपए प्रति दस ग्राम पर है और ग्राहक को हर दस ग्राम की खरीद पर 3,300 रुपये कर देना होता है। उन्होंने भी सरकार से कर घटाकर एक प्रतिशत करने की मांग की।

थाईलैंड के व्यापार प्रतिनिधि उमेश पांडेय ने कहा कि इस समय भारत के सामने अमेरिकी आयात शुल्क की चुनौती है। ऐसे में अन्य देशों के साथ थाईलैंड को भी निर्यात बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिये जहां मात्र 19 प्रतिशत आयात शुल्क है। साथ ही उन्होंने प्रयोगशाला में बने हीरों में मूल्यवर्धन की सलाह दी। ‘अपना दिल्लीवाला शो’ एक बी2बी (व्यवसायियों के बीच की) प्रदर्शनी है जो 15 सितंबर तक चलेगी। इसमें तरह-तरह के ज्वेलरी डिजाइन के अलावा इस उद्योग में काम आने वाली मशीनरी, पैकेजिंग के बॉक्स, चांदी के बर्तन तथा कलाकृतियां भी मौजूद हैं।

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