सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जुर्माना नाकाफी, पराली जलाने वालों को करना होगा गिरफ्तार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि देश की प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियां और राज्य सर्दियों से पहले तीन हफ्ते में वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय बताएं। कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें पटाखे और पराली जलाना शामिल है। मामले की अगली सुनवाई आठ अक्तूबर को होगी। सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बैंच ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से कहा कि हर साल सर्दियों में प्रदूषण का लेवल खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, इसलिए समय रहते कदम उठाना जरूरी है। सीजेआई गवई ने पराली जलाने वाले किसानों से सख्ती से निपटने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि जो किसान पराली न जलाने के सरकारी निर्देशों का उल्लंघन करते हैं, उनको गिरफ्तार क्यों नहीं करते। सिर्फ जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा, किसानों को जवाबदेह बनाना जरूरी है। कुछ किसानों को जेल भेजने से दूसरों को सबक मिलेगा और इस आदत पर लगाम लगेगी।
सुप्रीम कोर्ट में एमिक्स क्यूरी अपराजिता सिंह ने बताया कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सबसिडी के साथ ही मशीनें भी दी गई हैं, लेकिन किसान बहाना बनाते हैं। कुछ किसान कहते हैं कि उन्हें ऐसी जगह पराली जलाए जाने के लिए कहा जाता है कि जहां सेटेलाइट नजर नहीं रखता। कई किसान लाचारी दिखाते हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों को तीन महीने के भीतर प्रदूषण नियंत्रण बोड्र्स में रिक्त पदों को भरने को कहा। पीठ ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी अपने यहां रिक्त पदों को भरने के निर्देश दिए। हालांकि अदालत ने पदोन्नति के पदों को भरने के लिए छह महीने का समय दिया।