
फिरोजपुर-भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता के बेडरोल देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए रेलवे बोर्ड द्वारा स्पष्ट नीति निर्धारण की गई है। कंबल की सफाई का समय 2010 में पहले के तीन महीनों से घटाकर दो महीने कर दिया था और 2016 के बाद से इसे और भी कम करके 15 दिन कर दिया गया है। लॉजिस्टिक्स चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में यह 20 से 30 दिन तक बढ़ सकता है। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने शनिवार को एक प्रैस वार्ता में बताया कि उत्तर रेलवे पर संचालित होने वाली सभी ट्रेनों में वातानुकूलित श्रेणी के कोचों में साफ, स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले बेडरौल प्रदान किये जा रहे हैं। सभी चादरों और तकिया कवर को प्रत्येक उपयोग के बाद मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धुलाई और इस्त्री की जाती है ताकि यात्रियों को स्वच्छ बेडरॉल देकर उनकी आरामदायक, हाईजीनिक और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके।
हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि पहले कंबलों की धुलाई 2010 में जहां तीन महीने में एक बार की जाती थी। उस अवधि को घटा कर 2010 से दो महीने में एक बार तथा वर्तमान मे 15 दिन में एक बार किया गया है। रेलवे द्वारा एसी कोच में प्रत्येक यात्री को दो चादरें दी जाती है। जिसमें से एक सीट पर बिछाने तथा दूसरी कंबल के कवर के रूप में इस्तेमाल के लिए दी जाती है। इसके अतिरिक्त एसी कोच का तापमान भी 24 के आसपास रखा जाता है ताकि कंबल की आवश्यकता ही न पड़े और चादर ही पर्याप्त हो। उत्तर रेलवे ने प्रयोग के तौर पर रांची राजधानी में उच्च गुणवत्ता वाली बेड रोल देना शुरू किया था। अब उत्तर रेलवे द्वारा संचालित राजधानी, दुरोंतो एवं एसी स्पेशल गाडिय़ों में उच्च गुणवत्ता वाले बेडरोल दिए जा रहे है। हाल ही में उत्तर रेलवे द्वारा गाड़ी संख्या 12424 नई दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी में अल्ट्रा वायलेट कंबल कीटाणुशोधन किया। हर राउंड ट्रिप समाप्त होने पर उक्त गाडी के कंबलों को अल्ट्रा वायलट कंबल कीटाणुशोधन के लिए भेजा गया। तत्पश्चात कंबल का स्वाब लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा गया।