सुप्रीम कोर्ट का फैसला; लॉटरी बेचने पर सर्विस टैक्स नहीं, कहा, केवल राज्य सरकार ही लगा सकती है कर

नई दिल्ली-लॉटरी के वितरकों पर सर्विस टैक्स नहीं लगेगा। इसकी व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने दी है। कोर्ट ने कहा कि लॉटरी पर केवल राज्य सरकार ही टैक्स लगा सकती, कंेद्र द्वारा सर्विस टैक्स नहीं लगाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि वह सर्विस टैक्स लगाने का हकदार है। जस्टिस नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सिक्किम हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि लॉटरी सट्टेबाजी और जुआ की कैटेगरी में आती है, जो राज्य सूची की प्रविष्टि 62 है और केवल राज्य ही टैक्स लगा सकता है। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायालय ने कहा कि लॉटरी वितरकों की गतिविधियां सेवा नहीं हैं। इसलिए, यह कर योग्य सेवा के दायरे में नहीं आती। न्यायालय ने यह भी माना कि लॉटरी को बढ़ावा देना, मार्केटिंग करना, आयोजित करना या किसी भी तरह से उसकी सहायता करना, सातवीं अनुसूची की सूची ढ्ढढ्ढ की प्रविष्टि 62 के तहत ‘सट्टेबाजी और जुआ’ में शामिल है।
इसलिए, केवल राज्य विधानमंडल ही इस पर कर लगा सकता है। केंद्र सरकार ने सिक्किम उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एनके सिंह की पीठ ने कहा कि लॉटरी वितरक और सिक्किम राज्य के बीच का रिश्ता प्रधान-प्रधान का है, न कि प्रधान-एजेंट का। चूंकि यह एजेंसी का रिश्ता नहीं है, इसलिए लॉटरी वितरक सर्विस टैक्स देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं। वे राज्य सरकार को कोई सेवा नहीं दे रहे हैं। बता दें कि पहली अक्तूबर, 2023 को जीएसटी काउंसिल ने ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर लगाए जाने वाले सट्टों के पूरे फेस वैल्यू पर 28 फीसदी टैक्स लगाया। इस टैक्स के तहत अगस्त 2017 से 1 अक्टूबर, 2023 तक के ट्रांजैक्शन शामिल होंगे। गेमिंग कंपनियों ने इस फैसले को चुनौती दी, जिसमें सकल गेमिंग राजस्व के आधार पर टैक्सेशन की वकालत की गई।