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Rajiv Gandhi को बचाने के लिए हुई थी सीक्रेट मीटिंग, बोफोर्स घूसकांड पर नई किताब में सनसनीखेज खुलासा

देश के चर्चित मामलों में से एक ‘बोफोर्स घूसकांड’ पर एक नई किताब में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। किताब में दावा किया गया है कि 1987 में बोफोर्स घोटाले में राजीव गांधी को बचाने के लिए वरिष्ठ भारतीय नौकरशाहों और बोफोर्स अधिकारियों के बीच गुप्त बैठकें हुईं। खोजी पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम की ओर से लिखी गई इस किताब में स्वीडिश पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्रोम (किताब में स्टिंग के रूप में उल्लिखित) की ओर से दिए गए दस्तावेजों के आधार पर ये दावे किए गए हैं। लिंडस्ट्रोम स्वीडन में बोफोर्स मामले की जांच कर रहे थे। इन बैठकों में कथित तौर पर भ्रष्टाचार को छिपाने और राजीव गांधी को बचाने के तरीके बताए गए। चित्रा सुब्रमण्यम की किताब बोफोर्सगेट में इस घोटाले की गहराई से पड़ताल की गई है। सुब्रमण्यम ने यूरोप से इस मामले को कवर किया था। किताब के अनुसार, 22 अगस्त, 1989 को स्टिंग ने सुब्रमण्यम को स्टॉकहोम में कुछ दस्तावेज दिए।

किताब में इन सीक्रेट मीटिंग का विस्तृत विवरण दिया गया है। बोफोर्स टीम को सरदार पटेल मार्ग पर एक फाइव स्टार होटल में ठहराया गया था। उनके कमरों को बाहरी लोगों की पहुंच से दूर रखा गया था। बोफोर्स टीम का नेतृत्व पेर ओवे मोरबर्ग और लार्स गोहलिन ने किया था। भारतीय टीम में एसके भटनागर, पीके कार्था, गोपी अरोड़ा और एनएन वोहरा जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। रक्षा मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव के बनर्जी ने भारतीय टीम की सहायता की। बैठकों में बोफोर्स ने कहा कि जब भारत ने नो एजेंट नीति लागू की थी, तब उसने सभी अनुबंध समाप्त कर दिए थे। बोफोर्स ने यह भी गारंटी मांगी कि जो जानकारी वह देगा, उसे गोपनीय रखा जाएगा। लेकिन भारत ने कहा कि मीडिया में खुलासे और विरोध प्रदर्शनों के कारण वह ऐसा नहीं कर सकता।

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