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यमुना की 23 साइट्स वॉटर क्वालिटी टेस्ट में फेल

यमुना नदी की स्थिति को लेकर संसद की एक कमिटी ने चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है। संसदीय समिति के मुताबिक, दिल्ली में यमुना के पानी से जीवन मुश्किल से ही संभव है। 33 में से 23 जगहों पर पानी की गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई। दिल्ली में ही छह जगहों पर पानी पीने लायक नहीं है। दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी स्थिति खराब है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने के बाद भी प्रदूषण कम नहीं हुआ है। समिति ने नदी की सफाई और अतिक्रमण हटाने के लिए सभी से मिलकर काम करने को कहा है। वाटर रिसोर्स पर बनाई गई पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने यमुना नदी की सफाई परियोजना और दिल्ली में नदी के किनारे प्रबंधन पर एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में यमुना नदी के 40 किलोमीटर के हिस्से में पानी की गुणवत्ता बेहद खराब है।

यमुना हरियाणा के पल्ला से दिल्ली में प्रवेश करती है और उत्तर प्रदेश के असगरपुर से बाहर निकलती है। जनवरी, 2021 से मई 2023 के बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ मिलकर 33 जगहों पर वाटर क्वालिटी की जांच की। इस जांच में पानी में घुली ऑक्सीजन, पीएच, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड और फेकल कोलीफॉर्म जैसे चार महत्त्वपूर्ण मानकों को देखा गया। यमुना के किनारे अतिक्रमण भी एक बड़ी समस्या है। दिल्ली और हरियाणा ने अतिक्रमण की जानकारी दी है, लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से पूरी जानकारी अभी तक नहीं मिली है। बाढ़ नियंत्रण के लिए महत्त्वपूर्ण होने के बावजूद, उत्तर प्रदेश में यमुना के बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन नहीं किया गया है।

उत्तराखंड-हिमाचल में स्थिति बेहतर

जांच में पता चला कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सभी चार स्थानों पर पानी की गुणवत्ता मानकों के अनुसार थी। वहीं हरियाणा के सभी छह स्थानों पर पानी मानकों पर खरा नहीं उतरा। दिल्ली में, 2021 में सात में से एक भी जगह पानी की गुणवत्ता ठीक नहीं थी। हालांकि, पल्ला में 2022 और 2023 में कुछ सुधार देखा गया। समिति ने सभी संबंधित पक्षों से मिलकर नदी की सफाई और उसके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए काम करने का आग्रह किया है।

यमुना के पानी में घुली ऑक्सीजन न के बराबर

रिपोर्ट में कहा गया है कि पानी में घुली ऑक्सीजन का स्तर, दिल्ली में लगभग न के बराबर है। इसका मतलब है कि यमुना नदी का दिल्ली वाला हिस्सा जीवन के लिए अनुकूल नहीं है। रिपोर्ट में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के बावजूद, यमुना में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है।

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