आ रहा चीन-पाक की पनडुब्बियों का विनाशक, भारतीय नौसेना में होगा शामिल…

नई दिल्ली
भारतीय नौसेना लगातार अपनी ताकत को नई धार देने में जुटी है। इसी कड़ी में 18 जून को विशाखापत्तनम नौसेना डॉकयार्ड में पहले एंटी सबमरीन वॉरफेयर (एएसडब्ल्यू) शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अर्णाला’ को शामिल किया जाएगा। इस समारोह की अध्यक्षता चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान करेंगे, जबकि पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंधारकर समारोह की मेजबानी करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहला पनडुब्बी रोधी शैलो वाटर क्राफ्ट है, जिससे चीन-पाकिस्तान की सबमरीन नष्ट हो जाएंगी।
अर्णाला युद्धपोत 80 फीसदी स्वदेशी है। इसे कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने लार्सन एंड टुब्रो के साथ साझेदारी में बनाया है। एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट की खासियत है कि यह तट से 100 से 150 नॉटिकल मील दूरी पर दुश्मन की सबमरीन का पता लगा सकती है। सबमरीन का इस्तेमाल डिफेंसिव और ऑफेंसिव ऑपरेशन के लिए किया जाता है। यह आसानी से 30-40 मीटर की गहराई वाले इलाकों में ऑपरेट कर सकती है। अगर दुश्मन की सबमरीन तट के पास भारतीय जंगी जहाज को निशाना बनाने की कोशिश करेगी, तो शैलो वॉटर क्राफ्ट उसका पता लगाएगी और उसे खत्म कर देगी। यह वॉरशिप नेवल हार्बर से मूव करने वाले बड़े वॉरशिप के लिए रूट को क्लियर करता है।