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पंजाब सरकार ने काला बाज़ारी पर कड़ी कार्रवाई की शुरुआत की: कुलदीप सिंह धालीवाल

पंजाब में चल रहे संकट के बीच, राज्य सरकार ने ग्रामीण बाज़ारों में काला बाज़ारी के खिलाफ अपनी सख्त मुहिम को तेज़ कर दिया है। जैसे-जैसे बाढ़ से प्रभावित समुदाय वापिस पटरी पर आने की कोशिश कर रहे है, कुलदीप सिंह धालीवाल खुद गांवों में पहुंचे और अजनाला और आसपास के इलाकों में दुकानदारों व व्यापारियों से सीधे बात की।

व्यस्त बाज़ारों के बीच खड़े होकर धालीवाल ने साफ शब्दों में संदेश दिया – ज़रूरी सामानों में मुनाफाखोरी किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दुकानदारों को संबोधित करते हुए उन्होंने पंजाबी में कहा, “काला बाज़ारी से बचो। लोगों की तकलीफ न बढ़ाओ – अगर आप ऐसा करते है तो कानून के तहत सख्त कार्रवाई होगी।” पुलिस और स्थानीय अधिकारियों की मौज़ूदगी ने उनके इस संदेश को और मज़बूती दी।

कई मार्केट संघों को भी याद दिलाया गया कि अगर कोई भी जमाखोरी या ओवर रेटिंग करते पकड़ा गया तो तुरंत और कड़ी सज़ा मिलेगी।निरीक्षण के दौरान, धालीवाल ने आम लोगों की दिक्कतें भी सुनी और व्यापारियों को सख्त चेतावनी दी कि ऐसे वक़्त में उनका फर्ज़ है कि वे अपने समुदाय की रक्षा करें, न कि उनका शोषण।

उन्होंने कहा कि प्रशासनिक टीम लगातार छापेमारी करती रहेगी, और दुर्व्यवहार साबित होने पर दुकान का लाइसेंस रद्द, दुकान सील और शिकायत दर्ज की जाएगी। उपभोक्ता शिकायतों पर ध्यान देने के लिए 24×7 हेल्पलाइन भी शुरू की गई है।
इस तरह की निरंतर और सख्त कार्रवाइयों के कारण पूरे पंजाब में एक स्पष्ट संदेश गया है: काला बाज़ारी और अनुचित मुनाफाखोरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

धालीवाल के मौके पर पहुंचने और उनके सख्त रवैये को बाढ़ प्रभावित गांवों में काफी सराहा गया है, जिससे लोगों में भरोसा जागा है कि सरकार न्याय और जवाबदेही को पहली प्राथमिकता पर रख रही है।आने वाले दिनों में रूटीन पेट्रोलिंग और गुप्त जांच जारी रहेगी। धालीवाल की टीम ने ऐलान किया है कि चाहे कोई भी हो, काला बाज़ारी में लिप्त पाए जाने वाले को बख्शा नहीं जाएगा। यह लगातार चल रही मुहिम हर दुकानदार के लिए चेतावनी है कि इमानदारी और निष्पक्षता ही अब सबसे ज़रूरी है, खासतौर पर जब पंजाब के लोग मुसीबत में है।

किसान मज़दूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सरवन सिंह पंढेर ने चेतावनी दी कि अमृतसर समेत कई इलाकों में रोज़मर्रा की ज़रूरी वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। बाढ़ के बीच चारे, राशन और दवाइयों की जमाखोरी की शिकायतें बढ़ने लगी हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 550 रुपये वाला 25 किलो का चारा पैकेट अब दुकानों में 630 रुपये तक बेचा जा रहा है। यही हाल बचाव कार्यों में इस्तेमाल होने वाली नावों का है, जिनकी कीमतें दोगुनी और कभी-कभी तिगुनी तक वसूल की जा रही है।

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