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ऑपरेशन सिंदूर से थर्राए आतंकवाद के आका, ठिकाना बदलकर खैबर पख्तूनख्वा की पहाडिय़ों पर हो रहे शिफ्ट

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ बड़े आतंकवादी ठिकाने ध्वस्त कर दिए थे। भारत के इस प्रहार से आतंक के आका बुरी तरह से डरे हुए हैं। लिहाजा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन विशेषकर जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन ने अपनी गतिविधियों का केंद्र बदलकर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। यह बदलाव दिखाता है कि अब वे पीओके को असुरक्षित मानते हैं, जबकि खैबर पख्तूनख्वा उन्हें बेहतर सुरक्षा देता है, क्योंकि यह अफगान सीमा के नज़दीक है और यहां अफगान युद्ध से जुड़े पुराने जेहादी ठिकाने मौजूद हैं। बता दें कि खैबर पख्तूनख्वा पहाड़ी इलाका है। यह अफगानिस्तान के पास है। यहां आतंकियों को ज़्यादा सुरक्षित महसूस होता है।

आतंकियों की भर्ती को अभियान

14 सितंबर, 2025 को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच शुरू होने से करीब सात घंटे पहले जैश-ए-मोहम्मद ने खैबर पख्तूनख्वा के मनसेहरा जिला के गढ़ी हबीबुल्लाह कस्बे में खुलेआम भर्ती अभियान चलाया था। यह आयोजन दिखावे में तो देवबंदी धार्मिक सभा था, लेकिन असल में इसे जैश-ए-मोहम्मद और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) ने मिलकर आयोजित किया था। इसका असल मकसद लोगों को कट्टरपंथ की तरफ खींचना और भर्ती करना था, यानी कट्टरपंथी स्पीच देकर उनका ब्रेनवॉश करना था।

जैश का अगला ठिकाना बना पेशावर

जैश अब 25 सितंबर को पेशावर में एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रहा है। इस बार जैश नए नाम अल-मुराबितून का इस्तेमाल करेगा, ताकि दुनिया की नजरों से बचा जा सके। अल-मुराबितून का मतलब है इस्लाम की जमीन के रक्षक। सूत्रों ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद मनसेहरा में एक नया ट्रेनिंग सेंटर बना रहा है, जिसका नाम मरकाज़ शोहदा-ए-इस्लाम रखा गया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस कैंप का दायरा बढ़ा है, इसका मकसद इस इलाके में जैश की भर्ती और ट्रेनिंग के कामों को सुगम बनाना है।

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